*राजाकछार के ग्रामवासियों की जुबानी, अधूरे निर्माण की 20 साल की अधूरी कहानी* 


 _लगभग 50 हेक्टेयर भूमि पर बनाए जा रहे बांध को लेकर किया जा चुका है मुआवजा वितरण, निर्माण कार्य आज भी अधूरा, अधूरे निर्माण कार्य का दंश झेल रहे हैं ग्रामीण_


संतोष चौरसिया 


जमुना कोतमा/ अनूपपुर जिले में डैम और तालाब को लेकर शासन - प्रशासन ने भले ही आम जनता के हितार्थ कुछ बेहतर सोच के साथ समूचे जिले भर के ग्रामीण क्षेत्रों में बहुतायत में जल संरक्षण को लेकर चेक डेम, डैम और तालाबों का निर्माण और तालाबों का सौंदर्यीकरण करवाया हो, लेकिन ग्राम पंचायत के जिम्मेदारों ने इसे एक मौके के रूप में भुनाते हुए ग्रामीणों के हित के शासन और प्रशासन की महत्त्वाकांक्षी सोच को भ्रष्ट्राचार का सूचक बना दिया और शासन प्रशासन की सोच को भी ज़मीनी स्तर पर भ्रष्टाचारी सोच साबित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। जिले भर में कई अमृत सरोवर मनमाने तरीके से कहीं भी बना दिए गए और इनके मानक क्या हैं, इस बात की कोई परवाह किए बिना धड़ल्ले से शासकीय राशि का मनमाने ढंग से बंदरबांट किया गया। जिले भर में ऐसे सैंकड़ों मामले हैं, लेकिन कुछ मामले उजागर हो पाते हैं तो कुछ फाइलों में ही रह जाते हैं। मिली जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत मुड़धोवा के ग्राम राजाकछार में लगभग 20 वर्षों पूर्व प्रारंभ किया गया बांध निर्माण कार्य आज तक अधूरा है और इस पर ग्रामीणों ने आपत्ति जताई है कि आखिर इतने वर्षों से यह निर्माण कार्य क्यों अधूरा है, जो कि समूचे ग्रामवासियों के लिए लाभकारी है। ग्रामीणों ने बताया कि उक्त निर्माण कार्य के लिए स्वीकृत लगभग पूरी राशि का बंदरबांट हो गया और आज तक बांध निर्माण पूरा नहीं हो सका। आसपास के कई गांवों के लिए जल आपूर्ति के उद्देश्य से इस बांध की नींव रखी गई थी और बांध निर्माण अधूरा होने के कारण आज भी इस बांध आशान्वित गांव बांध के पानी की राह निहार रहे हैं और जल आपूर्ति की समस्या से जूझ रहे हैं लेकिन ग्राम पंचायत के जिम्मेदारों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक, किसी को भी ग्रामीणों की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं है। नेता टिकट और वोट को लेकर परेशान हैं और ग्राम पंचायत के जि़म्मेदार अपने व्यक्तिगत हितों में मशगूल हैं, और इस स्वार्थपरता के बीच ग्रामवासी पिस रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि लगभग 50 हेक्टेयर भूमि पर बांध बनाया जाना सुनिश्चित किया गया था और जिन भूमि स्वामियों की भूमि बांध में फंसी, उन्हें मुआवजा भी वितरित कर दिया गया, लेकिन आज दिनांक तक बांध निर्माण के कार्य को पूर्ण नहीं कराया गया, जिससे इस बांध के न बनने के कारण प्रभावित ग्रामीणों ने आक्रोश व्यक्त किया है।

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