शिवराज सरकार की जीरो टाँलरेंस का अर्थ 

भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही को जीरो करना है: माकपा

भोपाल। छ: माह के अंदर ही लोकायुक्त डीजीपी कैलाश मकवाना का तबादला साबित करता है कि शिवराज सिंह चौहान सरकार का भ्रष्टाचार पर जीरो टाँलरेंस का मतलब भ्रष्टाचार को खत्म करना नहीं बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ होने वाली संभावित कार्यवाहियों को जीरो करना है। 

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने उक्त बयान जारी कर कहा है कि एक ईमानदार अधिकारी ने भ्रष्टाचार पर प्रहार करते हुए भ्रष्टाचार की कई दबी फाईलों पर कार्यवाही कर दोषियों पर मुकदमे दर्ज करवाए थे। जिससे भ्रष्ट नौकरशाहों के साथ भाजपा नेता भी चपेट में आए थे। यदि मकवाना के कुछ दिन और इस पद पर बने रहते तो भाजपा नेताओं और मंत्रियों को अपने कच्चे चिट्ठे उजागर हो जाने का भय सताने लगा था। 

जसविंदर सिंह ने कहा है कि लोकायुक्त जस्टिस एन के गुप्ता की मुख्यमंत्री से 15 दिन में दो मुलाकात से ही समझा जा सकता है कि सरकार के अंदर कितनी घबराहट थी और वे किसी भी सूरत में मकवाना को हटाना चाहते थे।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा है कि भाजपा और मुख्यमंत्री का यह डर  मकवाना के हटाने के साथ ही मुख्यमंत्री के ओएसडी योगेश चौधरी को लोकायुक्त मे एडीजी बनाकर भेजने से भी स्पष्ट हुआ है। जाहिर है कि मुख्यमंत्री अपने विश्वस्त व्यक्ति की नियुक्ति कर भविष्य में भी भ्रष्टाचार के मामलों के उजागर होने की संभावनाओं पर पानी फेर देना चाहते हैं।

जसविंदर सिंह ने कहा है कि लोकायुक्त मे मकवाना के प्रयासों की वरिष्ठ अधिकारियों ने भी प्रशंसा की है, मगर शिवराज सरकार को भ्रष्टाचार की दीमक से समाज को बचाना नहीं बल्कि भ्रष्टाचारियों को बचाना है।



Share To:

Post A Comment:

0 comments so far,add yours